कितना आसान है मानव अंगों की तस्करी और बेचना खरीदना?
I had planned to write on this sensitive topic at some point, but a recent viral social media post precipitated it. That post, with some fake photos, claimed that the doctors of a Mumbai hospital had been found involved as a gang in making false Covid-19 diagnosis of many patients, killing them, then removing their vital organs and selling them.
इधर ये वायरल होना शुरू हुआ और लोगों में भावनाओं का ज्वार बढ़ना प्रारम्भ हो गया। अपना थोड़ा सा भी दिमाग लगाये बगैर लोगों ने इस अस्पताल के स्वास्थ कर्मचारियों के लिए फाँसी की सजा तक मांग डाली। हर बात को गूगल पर खंगालने वाले बुद्धिजीवियों और मीडिया कर्मियों तक ने इस बात के तथ्यों को गूगल पर जानना उचित नहीं समझा। क्यों????
क्योंकि ये एक सनसनीखेज समाचार था, इसे पढ़कर आहत भावनाओं की पुष्टि तो होती ही, साथ ही ये हमारे समाज के सबसे निरीह प्राणी डॉक्टर के तथाकथित अमानवीय व्यवहार पर केंद्रित समाचार जो था। कुछ ही वर्ष पूर्व हमारे छोटे से शहर के एक छोटे से अस्पताल के विरुद्ध एक रोगी ने आरोप लगाया था कि वहां के जनरल सर्जन ने उसके बेटे के अपेंडिक्स के ऑपरेशन के साथ साथ चुपचाप उसकी किडनी भी निकाल कर बेच दी और किसी और के लगा कर अपना बंगला बना लिया। खूब हो हल्ला हुआ, कई दिन तक समाचार पत्रों और टीवी चैनल्स को मसाला मिलता रहा।मानवाधिकार (?) सम्बंधित एवं विभिन्न NGOs और अन्य संगठनों को भी कई दिन तक अपनी तलवारें भांजने का अवसर मिला। किडनी न हुई, बरगद का पौधा हो गया, जहाँ से चाहो उखाड लो और जहाँ चाहें लगा दो,पत्ते आ ही जाएँगे!
इस प्रकार के अत्यंत मूर्खतापूर्ण, तथ्य विहीन समाचारों और सोशल पोस्ट्स को देख सुन व पढ़कर किसी भी डॉक्टर को क्रोध आना स्वाभाविक है। परन्तु शांत मस्तिष्क से ऐसे सभी व्यक्तियों से पूछा जाना चाहिये कि क्या किसी भी व्यक्ति का खून, बिना किसी जांच के, बिना मैचिंग के और कितनी भी देर बाद, किसी भी व्यक्ति को दिया जा सकता है? सबका उत्तर होगा नहीं!
यदि इसका उत्तर ‘नहीं’ में है तो आप ये कैसे मान लेते हैं कि किसी की भी किडनी किसी भी रोगी को कितने भी समय बाद किसी भी छोटे मोटे अस्पताल में बिना किसी मैचिंग के लगाई जा सकती है???
ऐसे समाचारों पर तुरंत भरोसा करने से पहले ज्ञानीजनों को थोडा तो अपनी बुद्धि व शिक्षा का सदुपयोग कर लेना चाहिये। और यदि नहीं समझ आये तो थोड़ा गूगल बाबा से ही पूछ लेना चाहिये। मानव शरीर के अंगों को निकालना, उनको लम्बे समय तक शरीर से बाहर सुरक्षित रख पाना और किसी भी अन्य शरीर में लगा देना फिल्मों और टीवी सीरीयल में जितना आसान होता है वैसा वास्तव में संभव ही नहीं है। इस विषय में मैं आपको इस से सम्बंधित निम्न जानकारी देना उचित समझता हूँ।
पहला तो ये कि गुर्दे, लिवर, आँतों और पैंक्रियास आदि अंगों का ट्रांसप्लांट केवल एक उच्चतम चिकित्सा संस्थान में ही संभव है।
दूसरे, इसको हर डॉक्टर नहीं कर सकता क्योंकि इस के लिए विशेष अनुभव प्राप्त किया जाना आवश्यक है अन्यथा निरर्थक हो जाता है।
तीसरा, इन अंगों को भी लहू की भाँति पूरी तरह मैच करने, कई अन्य जांचें करने और ट्रांसप्लांट के पूर्व कुछ दवाएँ दिए जाने के उपरांत ही किसी और रोगी के शरीर में प्रत्यारोपित किया जा सकता है।
चौथा और अत्यंत महत्वपूर्ण यह है कि इन अंगों के ट्रांसप्लांट के लिए इनको वाइटल यानि जीवित अवस्था में रखना जरुरी है जिसके लिए इनके अन्दर ऑक्सीजन युक्त रक्त का संचार होते रहना आवश्यक है। अत: ऐसे अधिकांश मामलों में दिमागी मृत्यू होने के बाद भी प्रत्यारोपण की सारी व्यवस्था होने तक अंगदाता के शरीर का रक्त संचार और ऑक्सीजन की पूर्ति वेंटीलेटर या हार्ट और लंग मशीन के द्वारा की जाती है।
पाँचवा और सबसे महत्वपूर्ण कि शरीर से बाहर निकलने के बाद भी इन अंगों को विशेष परिस्थितियों में भी कुछ समय तक ही जीवित रखा जा सकता है और वो समय लगभग 4 से 8 घंटे ही होता है। अब तक अधिकतम सिर्फ किडनी को 30 घंटे तक सुरक्षित रखने में सफलता मिली है।
इस के अतिरिक्त भी अन्य बहुत से चिकित्सीय और कानूनी तथ्य होते हैं जिनका उल्लेख करना इस आलेख की सीमा में नहीं है। इस लेख का उद्देश्य आप सब तक ये आवश्यक जानकारी पहुँचाना है जिससे भविष्य में यदि आपको किसी भी प्रकार से इस प्रकार की घटनाओं का समाचार या सूचना मिले तो आप उसे तुरंत विश्वास कर डॉक्टरों को अनाप शनाप कहने के स्थान पर पहले तथ्यों की जाँच पड़ताल अवश्य कर लें। साथ ही जो लोग इस प्रकार की भ्रामक सूचनाओं को WhatsApp University द्वारा आगे प्रसारित या प्रचारित कर रहे हों उन्हें रोक सकें, समझा सकें। आपका ये कदम समाज के लिए अत्यंत शिक्षाप्रद और कल्याणकारी होगा तथा चिकित्साकर्मी वर्ग इस के लिए आपका हृदय से आभारी होगा।
आप सब से करबद्ध अनुरोध है कि इस आलेख को जितना हो सके प्रसारित करें जिस से ये जानकारी अधिक से अधिक लोगों तक पहुँच सके।
पूरे धैर्य के साथ अंत तक इसे पढने के लिए आपको धन्यवाद सहित…
– डॉ.संजीव कुमार
MBBS, MD (KGMC, Lucknow)
Unique Diagnostics & Solar Fertility Clinic, Bareilly (UP)