पुष्य नक्षत्र में अमृत वर्षा
सूर्यदेव 19 जुलाई से 02 अगस्त तक पुष्य नक्षत्र में हैं।इस दौरान सर्वत्र भारी बारिश होगी। 02 अगस्त तक आप इस वर्षा का जल आकाश से गिरते समय किसी स्वच्छ बर्तन मे सीधे भर कर रख लें। इस जल को आप जीवन पर्यन्त औषधि के रूप में कभी भी ले सकते हैं।
किसी भी प्रकार की घातक बीमारी, मानसिक या शारीरिक रोग से लड़ने में ये जल सहायक सिद्ध होगा। जिस सज्जन ने मुझे इसके बारे में बताया है उनका कहना है कि ये जल अमृत तुल्य है और गंगा जल से भी कई गुणा बहुमूल्य माना जाता है।
आप इस जल को आजीवन रख सकते हैं। बस इसे पृथ्वी तत्व (धूल मिट्टी के कण) से स्पर्श न होने दें तो ये कभी खराब नहीं होगा।
आकाश, वायु, भूमि, जल और अग्नि वो पांच तत्व हैं जिनसे हमारा शरीर बना है। साँसों के माध्यम से प्राण वायु अर्थात् कौस्मिक ऊर्जा के द्वारा ये पाँचों तत्व शरीर मे कार्यरत होते हैं। परंतु विभिन्न गलतियों के कारण हमारे शरीर का सम्पर्क कुछ अंशों में टूट जाता है और तत्वों में असंतुलन आ जाता है।
इसका सीधा प्रभाव हमारे चक्रों पर होता है और ६ माह के भीतर हमारी देह किसी न किसी रोग से ग्रसित हो जाती है। इसी को आधुनिक भाषा में बीमारी कहते हैं। ऐसी स्थिति में कई बार अंग्रेजी दवा से कोई लाभ नहीं होता।
आज भी पुराने लोग, विशेषकर जिनके घर में वृद्ध माताएँ हैं, उन्होंने देखा होगा कि वो बरसात का पानी मुँडेर अथवा छत पर बर्तन में भर कर बाद में काँच की शीशियों में रख रहे होते हैं।
यदि आपको अपने पंचतत्वों को संतुलित रखना है तो ये जल वर्ष भर पीते रहें, कोई बीमारी नहीं होगी। ये शास्त्र सम्मत बात है और ढूँढेंगे तो वैज्ञानिक कारण भी अवश्य मिल जाएँगे।
इस अमृत वर्षा जल को आप सीधा ही कभी भी पी सकते हैं। यदि किसी बीमार व्यक्ति को दे रहे हैं तो गायत्री मन्त्र से अभिमंत्रित कर के दे सकते हैं अर्थात् ग्लास में इस जल को भरकर उसे सीधे हाथ मैं रखें और कम से कम 24 बार गायत्री मन्त्र (बिना प्रणव के अर्थात् बिना ॐ बोले) जाप करके फिर देंगे तो अधिक लाभ होगा।
ये हमारे ऋषि मुनियों का और शास्त्रों द्वारा प्रदत्त ज्ञान के भंडार की एक बूँद मात्र है। यदि आपको ये ज्ञान अच्छा लगे तो इसके बारे में अधिक से अधिक लोगों को बताएँ।
– नीरज सक्सेना